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Showing posts from April, 2018

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उसे तो बेरहमी से मार दिया आप सबने, उसने अभी तो कदम रखा था दुनिया में, जब रब के पास थी ..उसने तो कई वादे किए थे, बोला आप सबको तो अच्छे इरादे दिए थे । फिर क्यों उसके पहनने से पहले ही.. उसके तन का कपड़ा फाड़ दिया , उसकी आंख खुलने से पहले ही.. उसे इतनी बेरहमी से मार दिया। अरे जिंदा भी होती तो क्या जीने का हक मिलता ? तुम लोगों की वजह से तो यह फूल भी छांव में खीलता। डर सेहम कर किसी तरह बड़ी तो हो जाती, मगर जिस दिन गलियों में निकलती, तुम से बचते बचते फिर कहीं खो जाती। वह यह सब किस्मत में लिखा के नहीं लाई थी, उसे तो उसकी मां ने परियों की कहानी सुनाई थी, बताना भूल गई यहां पापी पर काटने को तैयार है, इस दुनिया में तेरा जन्म लेना ही बिल्कुल बेकार  है। तुम्हारी किस्मत तुम खुद लिखो, इससे पहले कि तुम्हारी लकीर मिटा दी  उन्ने, जो दर्द जुबान से निकालना भी नहीं जानती थी... उसी में इज्जत लुटा दी तुमने, अरे मां ....यही है वह तेरे चहीते, अगर तू भी होती....तो तेरे साथ भी ऐसा ही होने देते। कैसे कोई माफ करदे ऐसे पापो को, घर-घर पर बैठे आस्तीन के सांपे को। सजा-ए-मौत दो या उम